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डिप्रेशन क्या है?

What is Depression?

What is Depression? What are the symptoms of depression?

If you want to read in the English language then click here.

डिप्रेशन क्या है,  डिप्रेशन किसे हो सकता है, क्या मुझे डिप्रेशन तो नहीं, डिप्रेशन होने के क्या लक्षण है, क्या डिप्रेशन के बाद इंसान आत्महत्या ही करता है या बच सकता है?

ऐसे कई सवाल कई लोगों के मन में होते हैं, यह किसी के साथ उसे साझा नहीं करते, परंतु इसके बारे में निरंतर खोजते और पढ़ते रहते हैं। ज़रूरी जानकारी यह है कि डिप्रेशन केवल एक प्रकार का नहीं होता। डिप्रेशन कई प्रकार के होते हैं, मैं इनके नाम इंग्लिश अथवा हिंदी दोनों में लिखूंगा, आपको इन को देखकर घबराने की या  सोचने की जरूरत नहीं कि यह बहुत ही बड़े और भारी नाम है। यह एक जानकारी है जिसे आपको जानना चाहिए  यह इस प्रकार है:

1. विघटनकारी मनोदशाविकृति विकार के लक्षण (Disruptive mood dysregulation disorder)

2. प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार (Major depressive disorder)

3. लगातार अवसादग्रस्तता विकार (Persistent depressive disorder (dysthymia)

4. माहवारी से पहले बेचैनी (Premenstrual dysphoric disorder)

5. पदार्थ / दवा प्रेरित अवसाद विकार (Substance/medication induced depressive disorder)

6. एक और चिकित्सा स्थिति के कारण अवसादग्रस्तता विकार (Depressive disorder due to another medical condition)

7. अन्य निर्दिष्ट अवसादग्रस्तता विकार (Other specified depressive disorder)

8. अनिर्दिष्ट अवसादग्रस्तता विकार (Unspecified depressive disorder)

इससे पहले यह जान ले की bipolar disorder DSM-4  में डिप्रेसिव डिसऑर्डर के अंतर्गत ही आता था परंतु  DSM-5 में इसे अलग से रखा गया है। मैं बाइपोलर डिसऑर्डर पर भी कुछ ब्लॉग्स लिखूंगा। DSM एक किताब है जिसे अमेरिका में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और मानसिक विकारों के निदान के लिए आधिकारिक गाइड के रूप में  इस्तेमाल किया जाता है।

मैं एक-एक करके इनके बारे में आपको हर ब्लॉग में बताता रहूंगा। इस ब्लॉग में हम थोड़ी जानकारी डिप्रेशन के बारे में पढ़ते हैं।

इन सभी विकारों (Disorder) में सामान्य विशेषता जो पाई जाती है – वह है दुख, खालीपन, चिड़चिड़ापन, साथ ही शारीरिक बदलाव, संज्ञानात्मक बदलाव जो कि किसी भी इंसान के काम करने की क्षमता को प्रभावित करते है।

डिप्रेशन को क्लीनिकल डिप्रेशन भी कहा जाता है इसमें व्यक्ति  का डिप्रेस्ड मूड यानी विषादी मनोदशा के अतिरिक्त अन्य कई लक्षण पाए जाते हैं जैसे थकान, शक्तिहीनता, नींद में कठिनाई, भूख में कमी, किसी भी कार्य में मन न लगना, अपने आप को सभी से दूर कर लेना, बिल्कुल अलग-थलग रहना  आदि।

अब इसके लक्षणों पर नजर डालते हैं:

  1. सांवैगिक लक्षण ( Emotional Symptoms):

 ऐसे लोगों में मुख्य रूप से उदासी, निराशा, दुखी, लज्जा का भाव, दोष का भाव, बेकारी का भाव आता रहता है। इसमें उदासी सबसे सामान्य बात है। इसमें कुछ लोग तो इतना ज्यादा डिप्रेस्ड हो चुके होते हैं कि वह बिना रोए किसी से बात भी नहीं कर सकते है। ऐसे व्यक्तियों को अपने शौक, मनोरंजन तथा परिवार सभी अर्थहीन लगते हैं और ऐसे व्यक्तियों को किसी भी चीज में कोई आनंद नहीं आता यहां तक की प्रमुख जैविक क्रियाएं जैसे भूख एवं यौन भी इनके लिए कोई सार्थक सुख का साधन नहीं रह जाता।

(Clerk, Beck & Beck, 1994) ने अपने अध्ययन के आधार पर यह बतलाया है की विषादी रोगियों में से 92% लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अपनी जिंदगी में कोई मुख्य अभिरुचि नहीं रह जाती है तथा 64% ऐसे होते हैं जिनमें दूसरे लोगों के प्रति भाव शून्यता उत्पन्न हो जाती है।

2. संज्ञानात्मक लक्षण ( Cognitive symptoms):

एक विषादी (Depressed) इंसान हमेशा नकारात्मक ढंग से सोचता है। वह अपने भविष्य अपने करियर और अपने आप के बारे में हमेशा नकारात्मक चिंतन ही करता रहता है। वह हमेशा यह सोचता है कि वह तुच्छ एवं घटिया है तथा उसमें आत्म-सम्मान नहीं है। वह अपने आप को असफल मानता है और इस असफलता का मुख्य कारण अपने आप को ही समझता है। वह अपने आप को हर ढंग से अयोग्य एवं अपर्याप्त मानता है। वह सोचता है, मैं किसी भी काम का नहीं हूं। ऐसे लोगों में दोष का भाव बहुत ज्यादा होता है और यह जब भी जीवन में असफल होते हैं तो यह उसका पूरा इल्जाम अपने सर पर ले लेते हैं। यह अपने जीवन को, भविष्य को, निराशा और उदासी से भरा हुआ समझते हैं। फिर उनके साथ कुछ भी अगर खराब घटित हुआ हो, तो यह अच्छे की उम्मीद बिल्कुल छोड़ देते हैं। यह तरह-तरह के बहाने भी देना शुरू कर देते हैं, जैसे कि मेरी बौद्धिक क्षमता ठीक नहीं है, मैं कंफ्यूज हो जाता हूं। मुझे चीजें याद नहीं रहती। मैं छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान ठीक से नहीं कर पाता ।

3. अभिप्रेरणात्मक लक्षण ( Motivational symptoms):

विषादी व्यक्ति अपने दिनचर्या के काम में रूचि खो देता है। ऐसे व्यक्ति व्यक्तियों में प्रणोद, पहल तथा  स्वेच्छा की कमी रहती है। ऐसे लोगों को काम पर जाने के लिए, दूसरों के साथ बातचीत करने के लिए, भोजन करने के लिए तथा यौन व्यवहार करने के लिए काफी दबाव डालना पड़ता है। (Aron Beck, 1567) ने ऐसी स्थिति को “इच्छाओं का पक्षाघात” (paralysis of will) कहा  है। इस तरह के व्यक्ति निर्णय लेने में काफी कठिनाई का सामना  करते हैं। इनके लिए निर्णय लेना डर से भरा हुआ कार्य होता है। ऐसे व्यक्ति इस जिंदगी की क्रियाओं और दबाव से बचने के लिए आत्महत्या तक कर लेते हैं।

4. व्यवहारपरक लक्षण ( Behavioral symptoms):

विषादी व्यक्तियों की दिनचर्या में तेजी से गिरावट देखी जाती है। वे अपने नौकरी की जगह या फिर अपने व्यापार में भी अभिरुचि खोने के कारण, उनकी उत्पादकता बहुत कम हो जाती है। वह ज्यादातर समय अकेले ही बिताते हैं और लंबे समय तक बिस्तर पर लेटे रहते हैं। (Parker at al,1993) तथा (  Buchwaled & Rudick-Davis, 1993) द्वारा किए गए अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि विषादी लोग ( Depressed People) बहुत धीरे धीरे चलते हैं तथा उनके व्यवहार से ऐसा लगता है कि उनमें ना तो चलने की इच्छा है और ना शक्ति। यहाँ तक कि उनका संभाषण (speech) धीमा, एकस्वरीय (monotonal) तथा आँख झुका कर किया जाता है। ऐसे व्यक्ति सीधे आँख संपर्क स्थापित करके बातचीत नहीं करते हैं तथा प्रायः वह मुंह फेर कर किसी प्रश्न का जवाब देते देखे जाते हैं।

5. दैहिक लक्षण (Somatic symptoms):

विषादी (Depressed)  व्यक्तियों में अन्य दैहिक लक्षणों की तुलना में भूख एवं नींद में कमियां प्रमुख होती है। इनका थकान का स्वरूप कुछ ऐसा होता है कि लंबे समय तक आराम एवं नींद के बाद भी वह समाप्त नहीं होता है। करीब 9% विषादी व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जिन्हें नींद काफी आती है। ऐसे व्यक्तियों में दैहिक लक्षण जैसे सिरदर्द, अपच, कब्ज, छाती में दर्द तथा पूरे शरीर में दर्द आदि भी होते देखे जाते हैं। कई बार ऐसी अवस्थाओं को कभी-कभी मेडिकल समस्या समझने की भूल कर ली जाती है।

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